जयपुर में हाल ही के दिनों में लगातार आग की घटनाएं सामने आ रही हैं, और हर बार प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठते हैं। ताजा मामला मनोहरपुर इलाके की एक डायपर फैक्टरी का है, जहां शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने पूरी फैक्टरी को राख में बदल दिया। हादसे में करीब 20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
फायर सेफ्टी पर बड़ा सवाल
जयपुर में कई फैक्ट्रियां और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स ऐसे हैं, जहां फायर सेफ्टी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। न तो समय-समय पर जांच होती है और न ही आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम। सवाल यह है कि आखिर प्रशासन और फैक्टरी मालिक कब जागेंगे? क्या हर हादसे के बाद यही रटा-रटाया बयान सुनने को मिलेगा कि “जांच की जा रही है”?
करधनी में भी हुआ था बड़ा हादसा
एक महीने पहले करधनी के सरना डूंगर इलाके में भी प्लास्टिक रिसाइकल फैक्टरी में आग लगी थी। प्लास्टिक के जलने से आग इतनी तेजी से फैली कि इलाके में दहशत फैल गई। फैक्टरी में विस्फोट जैसी स्थिति बन गई थी। लेकिन इस घटना से भी किसी ने सबक नहीं लिया।
हादसों पर हादसे, लेकिन सुधार नहीं
मनोहरपुर की फैक्टरी में शनिवार को लगी आग भी उसी लापरवाही का नतीजा है। फैक्टरी में काम कर रहे मजदूरों ने पहले खुद आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन जब आग बेकाबू हो गई, तो उन्हें भागकर अपनी जान बचानी पड़ी।
प्रशासन की नींद कब खुलेगी?
हादसे के बाद दमकल और पानी के टैंकर मौके पर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आग बुझाने में घंटों लग गए। जयपुर प्रशासन और फैक्टरी मालिकों की इस लापरवाही का खामियाजा न केवल संपत्ति को, बल्कि मजदूरों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा को भी भुगतना पड़ता है।
लोगों का गुस्सा, मांग उठी सख्त कार्रवाई की
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन को अब सख्त कदम उठाने चाहिए। “हर बार हादसे के बाद जांच और आश्वासन की बात होती है, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं होती,” एक निवासी ने नाराजगी जताई।
जरूरत है सुधार की, नहीं तो और बढ़ेगा खतरा
जयपुर जैसे शहर में, जहां इंडस्ट्रियल एरिया तेजी से बढ़ रहे हैं, वहां फायर सेफ्टी नियमों का सख्ती से पालन करना बेहद जरूरी है। लेकिन अगर प्रशासन और फैक्टरी मालिक समय पर नहीं जागे, तो ऐसे हादसे आगे भी होते रहेंगे।
अब देखना यह है कि इस बार भी यह मामला सिर्फ कागजों तक ही सिमटकर रह जाएगा, या फिर कुछ ठोस कदम उठाए जाएंगे।