सालासर बालाजी धाम में एक अद्भुत घटना सामने आई है, जहां भक्ति और व्यापार का अनूठा संगम देखने को मिला। भीलवाड़ा निवासी वकील दिलखुश ओझा ने प्रसिद्ध भजन गायक कन्हैया मित्तल के लोकप्रिय गीत “कारोबार मेरो बालाजी चलावे” से प्रेरणा लेकर एक अनोखा कदम उठाया है। उन्होंने अपनी आय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सालासर बालाजी को समर्पित करने का निर्णय लिया है, और इस नेक संकल्प को उन्होंने कानूनी मान्यता भी प्रदान की है।
ओझा जी ने एक स्टाम्प पेपर पर एक विधिवत एग्रीमेंट तैयार करवाया है, जिसमें उन्होंने अपनी विभिन्न स्रोतों से होने वाली आय का 5% हिस्सा सालासर बालाजी को समर्पित करने का वचन दिया है। इसके अतिरिक्त, वे हर महीने अपनी आय का 2% हिस्सा बालाजी मंदिर या सरकारी सेवाओं को दान भी करेंगे।
इस अद्भुत और प्रेरणादायक कदम से सालासर मंदिर के नितिन पुजारी भी हैरान रह गए। उन्होंने ओझा जी की बालाजी के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति की सराहना करते हुए कहा, “ओझा जी की बालाजी के लिए श्रद्धा तो देखते ही बनती है। उन्होंने तो बाकायदा स्टाम्प पेपर पर स्वतः ही बनवा के लाए और उसमें ये बात लिखवा दी है कि उनकी जो भी आमदनी होगी उसमें से कितना हिस्सा मंदिर को दान करेंगे। ऐसी नेकनीयती तो आजकल कम ही देखने को मिलती है।”
दिलखुश ओझा का यह कदम निश्चित रूप से समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यह इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि सच्ची भक्ति और समाज सेवा में ही ईश्वर की सच्ची आराधना निहित है। कन्हैया मित्तल के गाने के बोल “कारोबार मेरो बालाजी चलावे” को उन्होंने अपने जीवन में उतार कर एक मिसाल कायम की है।
यह घटना इस बात का भी प्रमाण है कि संगीत और कला के माध्यम से कैसे लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। कन्हैया मित्तल का यह भजन न केवल भक्ति का एक सुंदर उदाहरण है, बल्कि यह समाज सेवा और दान के महत्व को भी रेखांकित करता है।
ओझा जी के इस नेक कार्य से हमें यह सीख मिलती है कि हमें भी अपनी कमाई का एक हिस्सा जरूरतमंदों और समाज की भलाई के लिए समर्पित करना चाहिए। इससे न केवल हमारा आत्मिक विकास होगा, बल्कि समाज भी एक बेहतर और खुशहाल जगह बनेगा।