कारोबार संवाद

हैरान रह जाएंगे आप! इंदौर की स्वच्छता के पीछे ‘वह’ शख्स, जिसने बिना झाड़ू लगाए किया कमाल!

8 बार नंबर-1 बना इंदौर! लेकिन असली हीरो है ‘हो हल्ला’ वाला देवऋषि – जानिए कैसे बदली शहर की तक़दीर

जब भी देश में स्वच्छता की बात होती है, सबसे पहले जुबान पर जो नाम आता है, वो है इंदौर। और क्यों ना आए? आखिर लगातार 8 बार नंबर-1 बना है ये शहर! पर ज़रा ठहरिए… क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्या किया इस शहर ने जो बाकी शहर पीछे छूट गए? क्या सिर्फ झाड़ू और डस्टबिन से ये कमाल हो गया? नहीं साहब, इस कहानी में एक असली हीरो है – जिसका नाम है देवऋषि, और जिसने गानों से पूरे शहर की सोच बदल दी।
देवऋषि जिन्हें ऋषि किंग के नाम से भी जाना जाता है (जन्म नाम: ऋषिकेश पांडेय; जन्म 16 मई 1992, पन्ना, मध्यप्रदेश, भारत) एक दार्शनिक संगीतकार हैं, जो विशेष रूप से भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान में रचनात्मक सहयोग के लिए जाने जाते हैं। इंदौर को 2017 से 2024-25 तक लगातार आठ बार स्वच्छता में नंबर-1 बनाए रखने में उनकी संगीत-रचनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

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जब सफाई का अलार्म बना ‘हो हल्ला’

साल था 2016। इंदौर में स्वच्छता को लेकर माहौल तो था, पर जोश नहीं था। लोग जान तो रहे थे कि सफाई ज़रूरी है, पर दिल से नहीं जुड़ पा रहे थे। तभी एक आवाज़ आई – ‘हो हल्ला’ की।

इस गाने को आवाज़ दी मशहूर सिंगर शान ने, लेकिन इसकी धड़कन और धुन रची देवऋषि ने, जो तब ऋषिकेश पांडेय के नाम से जाने जाते थे। पेशे से फिल्ममेकर, दिल से संगीतकार और सोच से दार्शनिक – ऐसा इंसान जिसने ये ठान लिया कि अगर बदलाव लाना है तो संगीत से लाना है

ये कोई आम गाना नहीं था…

‘हो हल्ला’ कोई सरकारी विज्ञापन नहीं था। ये तो शहर के बच्चों से लेकर बूढ़ों तक का सुबह का अलार्म बन गया था। सुबह-सुबह नगर निगम की गाड़ियाँ इसी धुन पर निकलतीं, बच्चे स्कूल जाते हुए गुनगुनाते, और तो और शादियों, गरबों और जुलूसों में भी बजने लगा ये गाना।

देवऋषि खुद कहते हैं –

“ये सिर्फ गाना नहीं था भाई, ये तो एक एहसास था… जो लोगों के दिल में उतर गया।”

हर जीत के साथ एक नई धुन

इंदौर जब पहली बार नंबर-1 बना, तो सबने ताली बजाई। पर देवऋषि ने सिर्फ ताली नहीं, नई धुन बजाई

हर गाना लोगों के रग-रग में उतर गया। हर बार जब इंदौर नंबर-1 आता, ये गाने बजते और लोग सीना चौड़ा करके कहते – “हम है इंदौरी, स्वच्छता हमारी शान है!”

सिर्फ इंदौर नहीं, अब पूरे देश में बज रही देवऋषि की धुन

इंदौर की सफलता के बाद, देवऋषि ने रायपुर के लिए ‘मोर रायपुर’ बनाया (जावेद अली की आवाज़ में), भोपाल के लिए ‘स्वच्छता की राजधानी’, और अब तो देश के अलग-अलग कोनों में उनके बनाए गाने स्वच्छता की अलख जगा रहे हैं।

अब संगीत से आगे आध्यात्म की ओर

अब देवऋषि सिर्फ गाने नहीं बना रहे, मन और भावनाओं का इलाज भी कर रहे हैं। उन्होंने साधना पांडे के साथ मिलकर ‘सनातन विज़डम’ नाम की संस्था बनाई है, जहां भारतीय ध्वनि दर्शन के ज़रिए मानसिक स्वास्थ्य पर काम हो रहा है।

आखिरी बात – बदलाव सिर्फ सरकार से नहीं होता, सभी के योगदान से होता है!

इंदौर की यह कहानी हमें सिखाती है कि सिर्फ कानून या आदेश से शहर नहीं बदलते। जब हर आदमी जुड़ता है, गाता है, गर्व करता है – तब असली बदलाव आता है। और इस बदलाव की नींव रखी एक संगीतकार ने, जो खुद को ‘मिस्टिक साउंड अल्केमिस्ट’ कहता है – नाम है देवऋषि

तो अगली बार जब इंदौर की सफाई की बात हो, झाड़ू वालों को सलाम ज़रूर करें, पर ये न भूलें कि इस आंदोलन की आवाज़ भी कोई थी – और उसका नाम था… ‘हो हल्ला’ वाले देवऋषि।

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