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डॉ अमित शुक्ला : खबरों के इस ‘डॉक्टर’ की कहानी जानकर आप भी कहेंगे – मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं!

नई दिल्‍ली: डॉ.अमित शुक्ला वरिष्ठ पत्रकार, भाषाविद् और शिक्षाविद् हैं। उन्होंने बचपन में कॉमिक्स बेचकर और ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई का खर्च उठाया। आज वह एक सफल करियर का आनंद ले रहे हैं। डॉ. शुक्ला ने पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी की है। उन्हें इस क्षेत्र में 17 साल से ज्‍यादा का अनुभव है। अभी वह टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड (TIL) से जुड़े हुए हैं। डॉ. अमित शुक्‍ला दैनिक जागरण, शिमला यूनिवर्सिटी और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ भी काम कर चुके हैं। उन्होंने हजारों लेख लिखे, संपादित और अनुवाद किए हैं। उन्होंने लाइव प्रोग्राम्‍स की एंकरिंग भी की है। वह कुशल लिंग्विस्‍ट भी हैं और कई भाषा समाधान प्रदान करने वाली संस्थाओं के साथ काम कर चुके हैं। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में पत्रकारिता भी पढ़ाई है। डॉ. अमित शुक्ला की कहानी संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी है।

संघर्ष में बीता बचपन
डॉ. अमित शुक्ला का जन्म 8 अगस्त 1983 को हुआ। उनका बचपन काफी संघर्षों भरा रहा। एक बड़े परिवार में पले-बढ़े डॉ. शुक्ला पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता परिवार के एकमात्र कमाने वाले थे। पिता पर परिवार की पूरी जिम्‍मेदारी थी। तीन बहनों और दो बेटियों की शादी के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो गई। ऐसे मुश्किल हालात में अमित ने अपने पिता का पूरा साथ दिया। जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, उस उम्र में अमित घर-घर जाकर ट्यूशन पढ़ाने लगे थे। इससे न केवल उनकी स्कूल की फीस निकलती थी, बल्कि घर के खर्च में भी मदद मिलती थी। अपने भाई के साथ मिलकर उन्होंने कॉमिक्स भी बेचीं और वीडियो गेम भी चलाया। घर के बाहर सब्‍जी मंडी का शोर और पढ़ाई-लिखाई का कोई माहौल न होने के बावजूद उनका ध्‍यान शिक्षा पूरी करने से कभी नहीं हटा। बॉटनी और केमिस्ट्री में BSc करने के बाद उन्होंने 2008 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में MA किया। उनकी शिक्षा यहीं नहीं रुकी। उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार से 2019 में पत्रकारिता और जनसंचार में पीएचडी भी पूरी की। उनके शोध का विषय था- Innovations in Hindi Dailies with reference to Technology and Content यानी हिंदी दैनिकों में तकनीकी और सामग्री के संदर्भ में नवाचार।

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ऐसे हुई करियर की शुरुआत
डॉ. शुक्ला का पत्रकारिता का करियर दैनिक जागरण से शुरू हुआ। पहले वह बतौर फ्रीलांसर इसकी फीचर टीम से जुड़े। कुछ समय के लिए ‘डीएलए’ नाम के टैबलॉयड में काम करने के बाद वह 2008 से दैनिक जागरण, नोएडा में सेंट्रल डेस्क का अहम हिस्‍सा बन गए। 2017 तक उन्‍होंने यहां अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्हें राष्ट्रीय-अंतरराष्‍ट्रीय और बिजनेस डेस्क पर काम करने का मौका मिला। उन्होंने यहां संपादन, कॉपी राइटिंग, स्क्रिप्टिंग, वॉयस-ओवर, फोटो रिफाइनिंग और समाचार अनुवाद जैसे काम किए। जागरण के साथ अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रभावशाली लेख लिखे। चाहे वे सामाजिक, आर्थिक या विश्लेषणात्मक लेख हों, उन्होंने सभी क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी। उन्हें राजनीति से लेकर मनोरंजन, बिजनेस से लेकर शहरी विकास तक विविध विषयों को कवर करने का मौका मिला। जागरण प्रकाशन लिमिटेड (JPL) के विभिन्न उपक्रमों में विस्तार के साथ उन्होंने अपनी सक्रिय भागीदारी के कारण बहुत कुछ सीखा। वह जागरण वीडियो के लिए वॉयस-ओवर भी देते थे। उन्हें फीचर डेस्क पर काम करने का भी मौका मिला। इससे उनके लेखन कौशल में और निखार आया। उनके सैकड़ों लेख प्रकाशित हुए।

डिजिटल मीडिया में भी बनाई पहचान
डॉ. अमित शुक्ला का अनुभव सिर्फ प्रिंट मीडिया तक ही सीमित नहीं रहा। उन्होंने डिजिटल मीडिया में भी अपनी पहचान बनाई। 22 जनवरी, 2018 को वह टाइम्स इंटरनेट लिमिटेड (TIL) में शामिल हुए और शुरुआत में इकोनॉमिक टाइम्स डिजिटल (economictimes.com) का हिस्‍सा बने। यहां उनकी जिम्‍मेदारियों में वेल्थ कैटेगरी का प्रबंधन, संपादन, कॉपी राइटिंग, अनुवाद, कंटेंट क्‍वालिटी की निगरानी और वीडियो सामग्री तैयार करना शामिल था। 1 मई, 2021 से वह नवभारत टाइम्‍स (NBT) डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यहां वह अभी बिजनेस डेस्क टीम का हिस्सा हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान
डॉ. अमित शुक्ला ने शिक्षा के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया है। वह 11 अगस्त, 2017 से 10 जनवरी 2018 तक शिमला यूनिवर्सिटी-AGU में असिस्टेंट प्रोफेसर रहे। यहां उन्होंने न्यूज रिपोर्टिंग, राइटिंग और एडिटिंग, फीचर राइटिंग और टीवी जर्नलिज्म पढ़ाया। वह टेक वन स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन (नई दिल्ली) और माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय (नोएडा कैंपस) में गेस्ट फैकल्टी भी रहे।

बतौर लिंग्विस्‍ट भी बनाया नाम
डॉ. अमित शुक्ला कुशल भाषाविद् भी हैं। उन्होंने सौम्या ट्रांसलेटर्स, ब्रह्मम नेट सॉल्यूशन, लिंगुअल कंसल्टेंसी सर्विसेज और COPD फाउंडेशन जैसी कई भाषा समाधान प्रदान करने वाली संस्थाओं के साथ फ्रीलांस लिंग्विस्‍ट के रूप में काम किया है। उन्होंने मार्वल कॉमिक्स ग्रुप, ऑस्ट्रियन इकोनॉमिक सेंटर और सेंटर फॉर सिविल सोसाइटी के साथ भी काम किया है। उनकी भाषा पर पकड़ ने उन्हें जनसंचार के छात्रों के बीच एक पसंदीदा मेंटर बना दिया।

ET एक्सीलेंस अवार्ड्स से नवाजा गया
डॉ. अमित शुक्ला को ET एक्सीलेंस अवार्ड्स 2019 से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी कहानी संघर्ष, परिश्रम और सफलता का बेहतरीन उदाहरण है। यह दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी लगन और मेहनत से ऊंची उड़ान भरी जा सकती है।

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