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बिहार से मुंबई तक – कसीम हैदर की संघर्ष भरी सक्सेस स्टोरी!

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अगर आपको लगता है कि छोटे शहर के लड़के बॉलीवुड में कुछ बड़ा नहीं कर सकते, तो ज़रा कसीम हैदर की कहानी सुनिए। बिहार के सासाराम में जन्मे और नजीबाबाद में पले-बढ़े कसीम ने न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि उन लोगों को भी जवाब दिया जो कभी उन पर शक करते थे।

कैसे शुरू हुआ ये सफर?

कसीम की पढ़ाई तो सासाराम में हुई, लेकिन आठवीं के बाद वो अपनी मां के साथ नजीबाबाद, बिजनौर आ गए। यहां उन्होंने धार्मिक कार्यक्रमों में एंकरिंग शुरू की। धीरे-धीरे उन्हें स्टेज से प्यार हो गया, लेकिन एक दिन जब किसी शायर ने कहा – “कुछ अपना भी सुनाओ”, तो उनके पास बोलने के लिए कुछ नहीं था। यही लम्हा उनकी जिंदगी बदल गया। उन्होंने ठान लिया कि अब से मंच पर सिर्फ अपना लिखा हुआ ही सुनाएंगे।

मुंबई जाने का फैसला और शुरुआती स्ट्रगल

बॉलीवुड का ग्लैमर हर किसी को खींचता है, लेकिन यहां अपनी जगह बनाना आसान नहीं होता। जब कसीम मुंबई पहुंचे, तो उन्हें लगा कि टैलेंट से रास्ते खुलेंगे, लेकिन हकीकत अलग थी।

पहली पहचान और फिल्मी दुनिया में एंट्री

लिखने के बाद उन्होंने सोचा, “क्यों न खुद ही अपने गाने प्रोड्यूस करूं और उनमें एक्टिंग भी करूं?”

700+ स्टेज शो और 2 फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी

आज कसीम सिर्फ एक्टर या राइटर नहीं, बल्कि एक शानदार एंकर भी हैं।

सीख: छोटे शहर से हो, तो क्या हुआ? बड़ा सोचो!

कसीम की कहानी उन सभी के लिए इंस्पिरेशन है जो छोटे शहरों से बड़े सपने देखते हैं।

तो क्या आप भी बड़े सपने देख रहे हैं?

अगर कसीम जैसा एक मिडिल क्लास लड़का अपनी पहचान बना सकता है, तो आप क्यों नहीं? सपनों के पीछे भागिए, मेहनत कीजिए और जब मौका मिले – छा जाइए!

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